Lovelina Borgohain Networth :

गांव में नहीं है पक्की सड़क फिर भी तय किया ओलंपिक तक का सफर, टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन की जानिए प्रेरणादायी कहानी”कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों|”

lovelina borgohain Networth

गांव में नहीं है पक्की सड़क फिर भी तय किया ओलंपिक तक का सफर, टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन की जानिए प्रेरणादायी कहानी”कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों I”यह कहावत भारत को टोक्यो ओलंपिक की बॉक्सिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जिताने वाली लवलीना बोरगोहेन के जीवन पर एकदम सटीक बैठती है। लवलीना बोरगोहेन, भारत के असम राज्य के एक ऐसे गांव से आती हैं जहां पक्की सड़क तक नहीं है, संसाधनों का अभाव है। इसके बावजूद लवलीना बोरगोहेन के हौसले कमजोर नहीं हुए।

लवलीना बोरगोहेन (जन्म 2 अक्टूबर 1997) एक भारतीय मुक्केबाज हैं Iअसम के गोलाघाट के एक छोटे से गांव बारामुखिया के मध्य वर्गीय परिवार में जन्मीं लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) के गांव में कुछ दिन पहले तक पक्की सड़क तक नहीं थी, लेकिन लवलीना की कामयाबी के बाद अब उनके गांव तक पक्की सड़क का निर्माण किया जा रहा है। लवलीना की दो बड़ी बहनें भी हैं। दोनों इस समय पैरामिलिट्री फोर्स का हिस्सा हैं और देश की सेवा कर रही हैं। लवलीना का गांव काफी छोटा है और उसमें कुछ कच्चे- पक्के मकान हैं। गांव में अभी तक पक्की सड़क तक नहीं है लेकिन लवलीना ने अपने प्रदर्शन के दम पर टोक्यो ओलंपिक तक का सफर तय किया है I

साल 2012 में बॉक्सर लवलीना की नई कहानी शुरू हुई। उन्हें अपना गांव- शहर छोड़कर गुवाहाटी जाना पड़ा। जिसके बाद 70 किलोग्राम वर्ग में लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) सब-जूनियर नैशनल चैंपियन बनीं। भोपाल में नैशनल कैंप के लिए उनका सिलेक्शन हो गया। लवलीना को एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप तक पहुँचने में केवल पांच साल लगे। 2017 में वियतनाम में इस इवेंट में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इससे पहले सर्बिया में हुए नेशंस कप में उन्होंने सिल्वर अपने नाम किया। 2018 में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में लवलीना ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।

लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) के पिता टिकेन बोरगोहेन खेती करते हैं और उसी से होने वाली कमाई से उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) बचपन से ही मजबूत इच्छाशक्ति वाली लड़की थीं। 15 साल की उम्र में ही देश के अलग- अलग हिस्सों में ट्रेनिंग के लिए अकेले ही चली जाती थीं। उनकी इसी खासियत ने उनके पिता को यकीन दिलाया कि वह मजबूत और जिद्दी हैं। लवलीना वर्ष 2010 से 2012 तक मुए थाई किक बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करती थीं, लेगांव में आम बच्चों की तरह खेलने-कूदने वाली लवलीना की जिंदगी में अहम मोड़ तब आया जब उनके पिता टिकेन बोरगोहेन बच्चों के लिए अख़बार के एक टुकड़े में मिठाई लपेटकर लाए थे।

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उस टुकड़े में एक तस्वीर छपी थी। लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) ने पिता से उस तस्वीर वाले शख़्स के बारे में पूछा। वह फोटो दिग्गज मुक्केबाज मोहम्मद अली की थी। पिता टिकेन ने बेटी को अली की पूरी कहानी सुनाई। असम के गोलाहाट ज़िले में यह किस्सा मशहूर है कि उसी के बाद लवलीना ने तय कर लिया कि उन्हें भी बिल्कुल मोहम्मद अली की तरह बॉक्सर बनना है।वर्ल्ड चैंपियनशिप में हुई अपनी गलतियों से सीखते हुए लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) ने टोक्यो ओलंपिक के क्वॉर्टर फाइनल में चीन की मुक्केबाज को हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की करी।

उन्होंने भारत की ओर से टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन कर भारत 🇮🇳 का नाम रोशन कर दिया है।लवलीना बोरगोहेन सेमीफाइनल में भले ही हार गई हों लेकिन उन्होंने अपने जबरदस्त प्रदर्शन की बदौलत भारत को कांस्य पदक दिलाया है। लवलीना मुक्केबाजी में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं, जिसमें वो राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत चुकी हैं। एक छोटे से गांव से निकलकर ओलंपिक तक का सफर तय करना लवलीना बोरगोहेन के लिए इतना आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणादायी सफर।

भारतीय महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) को अपने सेमीफाइनल मुकाबले में विश्व चैंपियन बॉक्सर बुसेनाज सुरमेनेली के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लवलीना को इस हार के साथ ही ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल से ही संतोष करना पड़ा है और उनका देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना अधूरा रह गया। लेकिन उन्होंने भारत को कांस्य पदक जिताकर भारत का नाम रोशन किया है। लवलीना बोरगोहेन को उनके प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।टोक्यो ओलंपिक में अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीतने वाली लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) आज सही मायने में करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है |

  • हालिया वित्तीय रिपोर्टों और आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 तक, बोरगोहेन की कुल संपत्ति 8.50 करोड़ रुपये है।
  • Renault Kiger

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इस Success story of लवलीना बोरगोहेन in hindi से आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा और आप को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली होगी। दोस्तो जीवन में सफल होने के लिए और इतिहास रचने के लिए हमें सफल लोगों की सफलता की कहानी पड़ते रहना चाहिए I

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लवलीना बोरगोहेन का जन्म कब हुआ था ?

2 October 1997

…….. वर्ग में लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) सब-जूनियर नैशनल चैंपियन बनीं।

70 किलोग्राम

जनवरी 2025 तक, बोरगोहेन की कुल संपत्ति …….. रुपये है।

8.50 करोड़

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