Mahatma Gandhi Networth :

महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Mahatma Gandhi Networth

Introduction :

महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।सदैव शाकाहारी भोजन खाने वाले इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी रक्खे। सन 1915 में भारत वापस आने से पहले गान्धी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये एकजुट किया। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गाँधी जी कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहे।

Biography :

मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म भारत में गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे। मोहनदास की माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और अत्यधिक धार्मिक प्रवित्ति की थीं जिसका प्रभाव युवा मोहनदास पड़ा और इन्ही मूल्यों ने आगे चलकर उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह नियमित रूप से व्रत रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। इस प्रकार मोहनदास ने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए व्रत और विभिन्न धर्मों और पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।सन 1883 में साढे 13 साल की उम्र में ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा से करा दिया गया। जब मोहनदास 15 वर्ष के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही।इसके बाद मोहनदास ने भावनगर के शामलदास कॉलेज में दाखिला लिया पर ख़राब स्वास्थ्य और गृह वियोग के कारण वह अप्रसन्न ही रहे और कॉलेज छोड़कर पोरबंदर वापस चले गए।

Gandhi Career :

मोहनदास अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (दीवान) बन सकते थे। उनके एक परिवारक मित्र मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी कि एक बार मोहनदास लन्दन से बैरिस्टर बन जाएँ तो उनको आसानी से दीवान की पदवी मिल सकती थी। उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया पर मोहनदास के आस्वासन पर राज़ी हो गए। वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये। अपने माँ को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लन्दन में अपना वक़्त गुजारा। वहां उन्हें शाकाहारी खाने से सम्बंधित बहुत कठिनाई हुई और शुरूआती दिनो में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था।

धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया। इसके बाद उन्होंने ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढने का सुझाव दिया। जून 1891 में गाँधी भारत लौट गए और वहां जाकर उन्हें अपनी मां के मौत के बारे में पता चला। उन्होंने बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद वो राजकोट चले गए जहाँ उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरू कर दिया परन्तु कुछ समय बाद उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा। आख़िरकार सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया।

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Swaraj And Salt Satyagraha :

गाँधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के सिद्धांत से बिलकुल अलग था पर ऐसा हो न पाया और अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित कर दिया। दिसम्बर 1928 के कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत को भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा और ऐसा न करने पर देश की आजादी के लिए असहयोग आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा। अंग्रेजों द्वारा कोई जवाब नहीं मिलने पर 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में भारत का झंडा फहराया गया और कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 का दिन भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसके पश्चात गांधी जी ने सरकार द्वारा नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नमक सत्याग्रह चलाया जिसके अंतर्गत उन्होंने 12 मार्च से 6 अप्रेल तक अहमदाबाद से दांडी, गुजरात, तक लगभग 388 किलोमीटर की यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य स्वयं नमक उत्पन्न करना था। इस यात्रा में हजारों की संख्‍या में भारतीयों ने भाग लिया और अंग्रेजी सरकार को विचलित करने में सफल रहे।

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Non-cooperation movement :

गाँधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी की बढती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें। इसी बीच जलियावांला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी। गांधी जी ने स्वदेशी नीति का आह्वान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूत कातने के लिए कहा। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेजी सरकार से मिले तमगों और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।

Assassination of gandhi ji :

0 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम 5:17 पर हत्या कर दी गयी। गाँधी जी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे जब उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उबके सीने में 3 गोलियां दाग दी। ऐसे माना जाता है की ‘हे राम’ उनके मुख से निकले अंतिम शब्द थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी।

Conclusion :

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महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था I

2 अक्टूबर सन् 1869

…… में साढे 13 साल की उम्र में ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा से करा दिया गया।

सन 1883

महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख ……. नेता थे।

राजनैतिक

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